जेब में एक पैसा नहीं फिर भी खड़ा कर दिया ₹90 करोड़ का बिजनेस, आप भी करें शुरू – Business Idea

यह कहानी एक छोटे से गांव के एक युवक की है, जिसने अपनी कड़ी मेहनत और अडिग संकल्प से न सिर्फ अपने सपनों को सच किया, बल्कि ₹90 करोड़ का सफल स्टार्टअप भी खड़ा किया। गांव में जन्म लेने के बावजूद उसने यह साबित किया कि अगर इरादा मजबूत हो, तो किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है।

कठिन परिस्थितियों में बड़ा सपना

उसके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी, और कई बार उसे अपनी पढ़ाई और भविष्य के सपनों को लेकर निराशा भी हुई। लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी। वह हमेशा खुद को हर परिस्थिति में खड़ा रखने की कोशिश करता रहा। उसने अपनी ज़िंदगी को एक नई दृष्टि से देखा, जहां संघर्ष और मेहनत ही सफलता के रास्ते हैं।

शिक्षा और संघर्ष का संगम

बचपन से ही उसे अपने संघर्ष का एहसास था, और यही संघर्ष उसे कुछ बड़ा करने के लिए प्रेरित करता रहा। 10वीं के बाद दिल्ली में काम करके पढ़ाई की और फिर बेंगलुरु में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उसने विदेश में जाकर ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल की, जो उसके भविष्य को दिशा देने वाला साबित हुआ।

स्कॉलरशिप से विदेश में शिक्षा

विदेश में अध्ययन करते हुए उसने यह महसूस किया कि सिर्फ नौकरी करना ही जीवन का उद्देश्य नहीं हो सकता। वह कुछ बड़ा करना चाहता था। यही सोच उसे भारत वापस लौटने और अपना खुद का बिजनेस शुरू करने की प्रेरणा दी।

बिजनेस आइडिया और शुरुआत

भारत लौटने के बाद, उसने बिना किसी बड़े संसाधन के अपने बिजनेस आइडिया पर काम करना शुरू किया। शुरुआती तीन सालों तक उसने खुद ही सब कुछ किया – पैकिंग, डिलीवरी और क्लाइंट से मिलना तक। उसकी फैक्ट्री में वॉशरूम तक नहीं था, फिर भी उसने कभी काम की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं आने दी और ग्राहक का विश्वास जीतने में सफल रहा।

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ग्राहकों और निवेशकों का भरोसा

उसने ग्राहकों की जरूरतों को समझा और उनके हिसाब से उत्पाद तैयार किए, जिससे उसका बिजनेस तेजी से बढ़ा। उसकी मेहनत और समर्पण ने न केवल ग्राहकों का दिल जीता, बल्कि निवेशकों का भी ध्यान खींचा। उसका कहना था, “सबसे अहम चीज़ है पैशन। अगर आप अपने पैशन को सामने वाले तक सही तरीके से पहुंचा पाते हैं, तो सफलता निश्चित है।”

बिहार का योगदान: कोविड-19 के दौरान बड़ा कदम

बेंगलुरु में अपनी कंपनी की सफलता के बावजूद, उसने अपने गृह राज्य बिहार को कभी नहीं भुलाया। कोविड-19 महामारी के दौरान उसने बिहार सरकार के साथ मिलकर 20 करोड़ रुपये का एमओयू साइन किया और एक नई फैक्ट्री शुरू की। यह कदम न सिर्फ बिहार के विकास में मदद कर रहा है, बल्कि उसे नए अवसरों के लिए भी तैयार कर रहा है।

₹90 करोड़ की सफलता की कहानी

आज उसके बिजनेस का टर्नओवर ₹90 करोड़ है और यह सैकड़ों लोगों को रोजगार दे रहा है। वह मानता है कि बिहार जैसे उपभोक्ता बाजार में अपार संभावनाएं हैं, जो इसे एक रणनीतिक बाजार बनाती हैं, और उसकी कंपनी ने इस बाजार में अपनी मजबूत पहचान बनाई है।

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